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    03 Mar 2020

    राज्य सरकार उद्यमिता, वैज्ञानिक पत्रकारिता, नवाचार, युवा वैज्ञानिकों को सम्मानित करने के लिए प्रदेश में स्ट्राइड (साइंस टेक्नोलॉजी, रिसर्च, इनोवेशन, डिजाईन, एंटरप्रन्योरशिप) पुरस्कार प्रदान करेगी। राज्य सरकार ने बीकानेर और अजमेर में विज्ञान पार्क की स्वीकृति दी है, ये पार्क 27 माह की अवधि में बन कर तैयार हो जाएंगे। मंगलवार को विधानसभा में मांग संख्या 11 (विविध सामाजिक सेवाएं, अन्य वैज्ञानिक अनुसंधान) की अनुदान मांगों पर हुई बहस का जवाब दिया और चर्चा के बाद सदन ने विविध सामाजिक सेवाएं, अन्य वैज्ञानिक अनुसंधान की 62 करोड़ 48 लाख 85 हजार रूपये की अनुदान मांग¬ ध्वनिमत से पारित कर दी। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के महत्वपूर्ण निर्णयों की सदन में जानकारी देते हुए बताया कि भरतपुर संभाग में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित किया जाएगा। जिससे पूर्वी राजस्थान की आम जनता विशेषकर युवाओं को लाभ होगा। राज्य में कमजोर, पिछड़े एवं दलित वर्ग को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से जोड़ने के लिए अनुसूचित जाति सेल स्थापित किया जाएगा। इसके अलावा विभाग द्वारा राज्य में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की जिलेवार आवश्यकताओं की मैपिंग करने के लिए रिपोर्ट भी तैयार की जाएगी। ’’कार्या’’ (केएआरवाईएः नॉलेज ऑगमेंटेशन थ्रू रिसर्च इन यंग एस्पिरेंट्स) प्रोग्राम के तहत राज्य के विज्ञान संकाय के 27 छात्र-छात्राओं को देश में परमाणु ऊर्जा विभाग, आई.आई.टी., बायोटेक्नोलॉजी विभाग, सी.एस.आई.आर, आई.सी.एम आर. की प्रतिष्ठित लैब में लघु शोध परियोजनाओं पर कार्य करने के लिए अवसर प्रदान किया गया। वर्ष 2020-21 में भी 100 छात्र-छात्राओं को यह अवसर दिया जाएगा। साथ ही राजस्थान में जैव विविधता को बढ़ावा देने के लिए जैव विविधता बोर्ड के संयुक्त तत्वाधान में राज्य जैव विविधता फैलोशिप कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए कहा कि राज्य की बौद्धिक संपदा अधिकार नीति 2019 जारी की गई है। आगामी वर्ष में लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए ट्रेडमार्क, पेटेंट, डिजाईन के आवेदन दाखिल करने के लिए तकनिकी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जायेगी। इससे राज्य की बौद्धिक सम्पदा अधिकार नीति 2019 के नीतिगत फायदे राज्य के नवप्रवर्तकाें को मिलेंगे। गत वर्ष 05 राजकीय विश्वविद्यालयों एवं 29 महाविद्यालयों में बौद्धिक संपदा अधिकार प्रकोष्ठ स्थापित किये गए हैं। आने वाले वर्ष में राज्य में निजी क्षेत्र के उच्च शिक्षण संस्थानों में भी बौद्धिक सम्पदा अधिकार प्रकोष्ठ स्थापित किये जायेंगे। प्रदेश में 3000 से अधिक युवाओं को बौद्धिक सम्पदा अधिकार के बारे में 25 वर्कशॉप के माध्यम से ट्रेनिंग प्रदान की गई है, अगले वर्ष 5000 से अधिक युवाओं को बौद्धिक सम्पदा अधिकार के बारे में 40 वर्कशॉप के माध्यम से ट्रेनिंग का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। राज्य के कलाकारों, दस्तकारी, कृषकों को ज्योग्राफिकल इंडिकेशन के माध्यम से सामाजिक एवं आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने के लिए विभिन्न विभागों से समन्वय के लिए राज्य स्तरीय समिति का गठन किया गया है। इस वर्ष राज्य से ज्योग्राफिकल इंडिकेशन की सख्या 17 करने के लिए राज्य सरकार वित्तीय एवं तकनीकी सहायता मुहैया करायेगी तथा सरकार के प्रयासों से सोजत मेहँदी को ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग मिलने की भी सम्भावना है। राज्य में उद्योगों एवं अकादमिक सहयोग के लिए नवीन कार्यक्रम अनुमोदित किया गया है। इसके अधीन विभिन्न विश्वविद्यालयों में उद्योग जगत के विशेषज्ञों को निश्चित अवधि के लिए नियुक्त किया जाएगा। विज्ञान केंद्र कोटा में 60 लाख रुपये की लागत से मॉडल स्थापित करने की स्वीकृति जारी की गयी है। उदयपुर में 05 करोड़ की लागत से तैयार होने वाला उप क्षेत्रीय विज्ञान केन्द्र दिसम्बर 2020 तक प्रारंभ हो जाएगा। जयपुर में इनोवेशन हब स्थापित करने के लिए 25 लाख की वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी गई है। जोधपुर में इनोवेशन हब का कार्य माह सितम्बर 2020 तक पूर्ण हो जायेगा। इसके अलावा बीकानेर में उप क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र के लिए भारत सरकार से अन्तिम स्वीकृति प्राप्त हो गई है, जबकि राज्य में नवीन विज्ञान केंद्र स्थापित करने के लिए स्मार्ट सिटी, नगर विकास न्यास एवं अन्य संस्थाओं का सहयोग लिया जाएगा। विभाग के निदेशालय का नवीन भवन लगभग 4 करोड़ रुपये की लागत से तैयार कराया गया है। जोधपुर में उप क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र को साइंस सिटी में अपग्रेड करने के लिए प्रस्ताव तैयार कर भारत सरकार को भिजवाया जाएगा। इसके अतिरिक्त अजमेर के विज्ञान केंद्र के लिए स्मार्ट सिटी लिमिटेड से वित्तीय सहयोग प्राप्त हुआ है, अजमेर में ही विज्ञान केद्र का निर्माण कार्य 2020-21 में प्रारंभ कर इसे 27 माह में पूर्ण करने का लक्ष्य विभाग द्वारा निर्धारित किया गया है। हर व्यक्ति में नैसर्गिक क्षमताएं होती है। बचपन से कोई आशु कलाकार, कोई आशु वैज्ञानिक एवं कोई आशु लेखक एवं साहित्यकार होता है। जरूरत उनकी प्रतिभा को तराशने की और उन्हें माहौल प्रदान करने की होती है। इसके लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण और अच्छी तालीम की जरूरत होती है। विज्ञान ही हमें यह सिखाता है कि किन चीजों को अपनाए और किनको नहीं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा प्रदेश के स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में जो विद्यार्थी विज्ञान, गणित, बॉयोलोजी, फिजिक्स, बायो टेक्नोलोजी, कैमिस्ट्री एवं एग्रीकल्चर आदि में रिसर्च करते हैं, उनको 25 हजार से 5 लाख रूपये की सहायता दी जाती है। विज्ञान के विभिन्न विषयों पर कांफ्रेंस एवं वर्कशाप में भाग लेते है उनको भी सहायता उपलब्ध कराई जाती है। राज्य स्तरीय कांफ्रेंस के लिए 25 हजार, राष्ट्रीय कांफ्रेंस के लिए 50 हजार और अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस के लिए एक लाख की सहायता दी जाती है। इस वर्ष अब तक 20 से ज्यादा ऎसे आयोजनों के लिए 15 लाख की प्रोत्साहन राशि विभाग द्वारा दी गई है।