20 Jun 2018
मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय जोधपुर के विकास के लिये प्रारम्भ की गयी और प्रक्रियाधीन रही विकास परियोजनाओं और कार्यों में जानबूझ कर देरी की और अब जब चुनावों में पांच माह रह गये हैं, तब जोधपुर आकर विकास कार्यों का ढ़िंडोरा पीटकर राजनीतिक लाभ लेने का असफल प्रयास कर रही हैं। इस सरकार द्वारा अपने शासनकाल के दौरान जोधपुर की लगातार घोर उपेक्षा की गयी। आने वाले चुनाव में जोधपुर की जनता मुख्यमंत्री से इस सवाल का जवाब चाहेगी। अच्छा होता मुख्यमंत्री समय-समय पर जोधपुर आती और यहां ढ़ांचागत विकास के कार्य करवाकर जनसुविधाओं का विस्तार करती। उनके शासनकाल में जोधपुर के विकास के लिये ना तो कोई नई परियोजना स्वीकृत की गयी और ना ही कोई परियोजना बनाई गयी, जिन पर काम हो सके। यहां तक कि प्रदेश की राजधानी जयपुर के बाद राजस्थान का सबसे बड़ा और दूसरे नम्बर का शहर होने के बावजूद भी जोधपुर को स्मार्ट सिटी के चयन से बाहर रखा गया। आज मुख्यमंत्री जोधपुर में जिन योजनाओं का लोकार्पण करने जा रही है यथा माणकलाव-दांतीवाडा-पीपाड-बिलाडा पेयजल योजना, खारिया-जालौर पेयजल योजना, सारण नगर स्थित ओवरब्रिज सहित कई योजनाएं पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय प्रारंभ की जा चुकी थी। लोकतंत्र में पक्ष और विपक्ष, दोनों का अपना महत्व होता है। राजनीतिक दृष्टिकोण से किसी भी क्षेत्र विशेष की उपेक्षा करना राजधर्म नहीं है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय प्रदेश के सभी क्षेत्रों का समान रूप से विकास किया गया। समाज के सभी वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएं लागू की गयी। तब कांग्रेस सरकार का लक्ष्य राजस्थान का समग्र विकास करना था। मुख्यमंत्री श्रीमती राजे ने इस शहर को गैंगस्टर्स के हवाले छोड़ दिया। अनेकों बार फायरिंग की घटनाएं तक हो चुकी हैं, चोरी, गुण्डागर्दी तो आम बात हो गई। यहां तक कि राजस्थान उच्च न्यायालय को भी टिप्पणी करनी पडी कि - जोधपुर राजस्थान का हिस्सा है या नहीं?, प्रदेश में पश्चिमी राजस्थान नाम की कोई जगह है या नहीं?, क्या हाल हो गया है इस शहर का?, यहां दुनिया भर की गुण्डागर्दी हो रही है, आम आदमी का जीना मुहाल हो गया है, सरकार और प्रशासन बेशर्मी और निकम्मेपन की हदें पार कर चुके हैं, सरकार जवाब दे।