17 May 2020
प्रदेशवासी कोविड-19 को लेकर डरने के बजाय तुरंत अस्पताल पहुंचकर अपनी जांच कराएं और उपचार लें। कोरोना सहित किसी भी बीमारी को छुपाने की कोशिश नहीं करें। इससे बीमारी के गंभीर होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। राज्य सरकार ने सभी तरह की बीमारियों के उपचार के लिए उचित प्रबंध कर रखा है। हमारा माइक्रो मैनेजमेंट ऐसा हो कि प्रदेश में इलाज के अभाव में कोई जान नहीं जाए। निवास पर कोरोना के संक्रमण, जांच एवं इलाज, क्वारेंटीन सुविधाओं तथा गैर-कोविड रोगों के लिए चिकित्सकीय सुविधाओं की स्थिति के बारे में उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। अधिकारियों से कहा कि हमें लगातार सतर्क एवं सजग रहने की जरूरत है। विशेषकर राजस्थान आ रहे श्रमिकों की प्रभावी स्क्रीनिंग, जांच एवं क्वारेंटीन को मजबूत किया जाना जरूरी है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में सैम्पलिंग बढ़ाई जाए। डूंगरपुर का एक उदाहरण देते हुए कहा कि वहां कोरोना के डर के कारण समय पर उपचार नहीं कराया गया। इसके चलते एक 4 वर्षीय बच्चे की मौत हो गई। बताया कि बच्चे के निकटतम परिजन ने मुख्यमंत्री निवास पर फोन कर बीमारी की जानकारी दी तो तत्काल एम्बुलेंस भिजवाई गई, लेकिन एम्बुलेंस से अस्पताल जाते समय रास्ते में ही बच्चे ने दम तोड़ दिया। ऐसी स्थिति बेहद दुखद है। अगर परिजन समय पर बच्चे को अस्पताल ले जाते या प्रशासन को सूचना देते तो उसे बचाया जा सकता था। निर्देश दिए कि राजस्थान में अब तक कोरोना से हुई 125 मौतों का विशेषज्ञों द्वारा विश्लेषण किया जाए। इन मौतों का गहन अध्ययन करने के लिए मृतकों के परिजनों से मिलकर रोगियों की पूरी केस हिस्ट्री, देरी से अस्पताल पहुंचने के कारणों, अन्य पुरानी बीमारियों की स्थिति की जानकारी लेकर उसका तार्किक विश्लेषण किया जाए। तभी हम कोरोना की लड़ाई के लिए चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार और लोगों को जागरूक करने की बेहतर रणनीति तैयार कर सकेंगे। जयपुर जेल में एक साथ बड़ी संख्या में कैदियों के कोरोना पॉजिटिव होने के मामले को गंभीरता से लिया। इन मरीजों को उचित चिकित्सा उपलब्ध करवाने के साथ ही कोरोना के तय मेडिकल प्रोटोकॉल की जेलों में भी पूरी पालना सुनिश्चित की जाए। प्रदेश की दूसरी जेलों में भी आवश्यकतानुसार कैदियों की कोरोना जांच करवाई जाए। प्रदेश में कोरोना से होने वाली मौतों का प्रतिशत कम है। हमने अपनी टेस्ट क्षमता काफी बढ़ा ली है। अब गिने-चुने मामलों में वेंटीलेटर की आवश्यकता पड़ी है। ये सब अच्छे संकेत हैं, लेकिन आगे कोरोना किस रूप में सामने आए, इसे लेकर हमें सजग रहने की जरूरत है। विशेषज्ञों से कहा कि वे ऐसी नियमावली बनाएं, जिसका पालन कर आमजन खुद को कोरोना के साथ जीने के लिए तैयार कर सके। जिससे आमजन जागरूक हो सकें और उसे दिनचर्या का हिस्सा बना पाएं। वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चार घंटे चली बैठक में प्रदेश में कोरोना के इलाज के लिए गठित विशेषज्ञ चिकित्सकों के समूह तथा सभी संभागों के प्रभारी अधिकारियों के साथ वार्ता की। चिकित्सकोें से महामारी से लड़ने के लिए भविष्य की रणनीति और अधिकारियों से विभिन्न जिलों में कोरोना के संक्रमण की स्थिति, जांच व्यवस्था, उपकरणों की उपलब्धता, क्वारेंटीन सुविधाओं सहित अन्य विषयों पर फीडबैक लिया।