07 Oct 2019
आज यहां जोधपुर सर्किट हाउस के सामने राजमाता कृष्णा कुमारी मार्ग का लोकार्पण किया। लोकार्पण के पश्चात राइका बाग पैलेस में महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश शोध केन्द्र मेहरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट द्वारा आयोजित राजमाता कृष्णा कुमारी को समर्पित महाराजा हनुवन्त सिंह स्मृति व्याख्यानमाला में मुख्य अतिथि के रूप में शरीक हुए। स्व. राजमाता कृष्णा कुमारी अपणायत और स्नेह की प्रतिमूर्ति थीं। उनका मेरे प्रति सदैव मातृत्व भाव रहा। राजमाता की मेरे प्रति यह सोच थी कि मैं मारवाड़ और जोधपुर के लिए कुछ करना चाहता हूँ। उन्होंने चुनाव लड़ा और वे निर्दलीय सांसद भी बनीं। उनकी सोच हमेशा सभी समाज एवं धर्मों के प्रति समान भाव की रहती थी। ऐसी शख्सियत के नाम पर मार्ग का नामकरण करने के निर्णय के लिए महापौर, नेता प्रतिपक्ष एवं पार्षदों को साधुवाद। इससे नई पीढ़ी को उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व के बारे में जानने की प्रेरणा मिलेगी। महाराजा हनुवन्त सिंह बहुमुखी प्रतिमा के धनी थे। उनकी कला में गहरी रूचि थी। जादू का भी शौक था। मेरे पिता बाबू लक्ष्मणसिंह एवं महाराजा हनुवन्तसिंह, दोनों जादू दिखाते थे। यह रिश्ता भी रहा है। पूर्व सांसद श्री गजसिंह ने मुझे कार्यक्रम में आने के लिए जो निमंत्रण पत्र भेजा उसमें मेरे राजमाता से आत्मीय रिश्ते का उल्लेख किया। इससे मैं अभिभूत हुआ हूं। जोधपुर की जनता का अपार स्नेह मुझे मिलता रहा है। इसकी बदौलत तीन बार मुख्यमंत्री, पांच बार सांसद, केन्द्रीय मंत्री एवं अन्य पदों पर रहा। भारत में आजादी के 70 वर्ष बाद भी लोकतंत्र मजबूत है। पड़ौसी देश में बार-बार सैन्य शासन होता रहता है। राष्ट्र के निर्माण में पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू एवं श्रीमती इंदिरा गांधी का अति महत्वपूर्ण योगदान है। राजमाता कृष्णा कुमारी की स्मृति में उनके जीवन पर आधारित चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया। समारोह में विधायक श्री महेन्द्र विश्नोई, राजसीको के पूर्व चेयरमैन श्री सुनील परिहार, जेडीए के पूर्व चेयरमेन श्री राजेन्द्रसिंह सोलंकी, जोधपुर पूर्व राजपरिवार की सदस्य श्रीमती हेमलता राजे सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। प्रारम्भ में मुख्यमंत्री एवं अन्य अतिथियों ने महाराजा हनुवन्त सिंह एवं राजमाता के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित किया। डॉ. महेन्द्रसिंह तंवर ने स्वागत भाषण दिया। समारोह में समाजसेवा के लिए मारवाड़ रावणा राजपूत सभा के अध्यक्ष श्री गणपतसिंह चौहान व डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित का प्रशस्ति प्रदान कर सम्मान किया गया।