24 Aug 2017
इस वर्ष गर्मियों में राजस्थान में गहरीकरण के लिए जब कई तालाबों का पानी निकाला गया तो गणेशजी की पीओपी से बनी बहुत सारी मूर्तियां देखने को मिलीं। ये सभी मूर्तियां पिछले साल सितंबर में इन तालाबों में विसर्जित की गई थीं। इससे हम अंदाजा लगा सकते हैं कि देश में ऐसे ही कितने और तालाब, झील व नदियां साल दर साल पीओपी की मूर्तियों के कारण प्रदूषित हो रही हैं और जिस आस्था से हम गणेशजी की स्थापना करते हैं, फिर उनका विसर्जन करते हैं, उसका परिणाम क्या हो रहा है? इस वर्ष मैं पुनः आप सभी से निवेदन करना चाहता हूँ कि मिट्टी से बनी गणपति जी की प्रतिमा अपने घरों में विराजमान करें। हमारा उद्देश्य है कि हम अपने तालाब व नदियां बचा सकें और इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि जिस श्रद्धा और आस्था से हम भगवान गणेश की स्थापना घरों में करते हैं, उनका आशीर्वाद सदैव हमारे साथ रहे। घर में ही मूर्ति का विसर्जन करें और पवित्र मिट्टी को गमले में डालकर उस पर पौधा लगा दें। इससे न सिर्फ गणेशजी का अाशीर्वाद बल्कि उनकी याद भी साल दर साल आपके घर-आंगन में महकेगी। ये पौधे बड़े होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण में बड़ा योगदान भी करेंगे। साथ ही आपके घर-परिवार में नई समृद्ध परंपरा का संचार भी होगा।