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    12 Apr 2019

    Talked to media in Sri Ganganagar.. आज हमारी मीटिंग है यहां पर इसीलिए कल रात को हम आ गए थे, हम लोग दौरे कर रहे हैं पूरे राजस्थान के अंदर, जहां जहां हम जा रहे हैं वहां पर तमाम जगह जो रिस्पांस मिल रहा है वह एक्स्ट्राऑर्डिनरी है और मिशन 25 लेकर चल रहे हैं और उसमें हम लोग अवश्य कामयाब होंगे। क्योंकि जनता अब समझ चुकी है कि 5 साल पहले जो वादे किए गए थे, नरेंद्र मोदी जी ने जो माहौल बनाया पूरे देश के अंदर और माहौल बन भी गया उनके पक्ष में और राजस्थान में भी हमारी सरकार चली गई और केंद्र में भी चली गई हालांकि उनको वोट प्रतिशत 31 मिले थे, 100 में से 31 वोट मिले 69 वोट उनके खिलाफ गए तब भी वह प्रधानमंत्री बने और जुमलेबाजी खूब करी, अच्छे दिन की बात करी, महंगाई कम कर देंगे, काला धन लेकर आएंगे और दो करोड़ नौजवानों को प्रतिवर्ष नौकरी देंगे और भी कई वादे किए गए थे। हमारा कहना है उनके पहले वाले वादों को सुन ले जो वह बोलते थे फिर किसी को केम्पेन करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी, अपने आप असलियत मालूम पड़ जाएगी कितना झूठ बोल कर इन्होंने सत्ता हासिल की थी और 5 साल की उपलब्धियां सिफर है, वह खुद दावा नहीं कर सकते कि मैंने जो वादे किए थे अकॉर्डिंग टू मैंने यह उपलब्धि हासिल की है, इसलिए वह जानबूझकर उनका जिक्र ही नहीं कर रहे हैं, यह पहली बार है कि जो प्रधानमंत्री का जिस आदमी का मेनिफेस्टो के आधार पर 5 साल आप ने शासन किया हो हर प्रधानमंत्री अगले चुनाव में उन उपलब्धियों को बताता है, हमने वादे किए थे उनमें से यह काम कर लिये , यह काम हमारे हो नहीं पाये और यह हम आगे वादा करते हैं नई घोषणा। यह पहले प्रधानमंत्री है जो पहले वाले मेनिफेस्टो का जिक्र नहीं कर रहे हैं, नए मेनिफेस्टो में भी उनका जिक्र नहीं है इसरूप में उन्होंने 5 साल बिताए हैं, असत्य बोलकर, जुमलेबाजी करके और अब यह धर्म के नाम पर और राष्ट्रवाद के नाम पर, तो क्या हम लोग राष्ट्रवादी नहीं है? आप लोग बैठे हुए हो राष्ट्रवादी नहीं है क्या? पर यह जानबूझकर के इस रूप में लोगों को भड़काते है और धार्मिक आधार पर धुर्वीकरण करके चुनाव जीतना चाहते हैं यह इनकी फितरत है और यही करते आए हैं जब से इनका जन्म हुआ है, जनसंघ के रूप में। पहले गौ माता, गौ माता की बात करते थे गौ माता को छोड़ दिया फिर इन्होंने फिर राम मंदिर पर आ गए और राम मंदिर भी अब खाली चुनाव में याद आता है, यह इस प्रकार की राजनीति करते करते यहां तक पहुंचे हैं अब इनसे लोकतंत्र को खतरा है जिस रूप में इन्होंने शासन किया है, जिस रूप में बदले की भावना से कार्रवाई कर रहे हैं, काँग्रेस नेताओं को टारगेट बना रहे हैं इससे लोकतंत्र को खतरा भी है देश के अंदर, संविधान को खतरा है। इनका लोकतंत्र में यकीन नहीं है यह कैसे लोकतंत्र का मुखौटा पहन कर शासन करने आए हैं और फासिस्ट सोच, यह चिंता का विषय बना हुआ है पूरे देश के अंदर। घृणा की, नफरत की, और बदले की भावना की राजनीति शुरू हो गई है देश के अंदर, हिंसा की राजनीति है। हमारे नेता राहुल गांधी जी कहते हैं कि हमारी कोई अदावत नहीं है, दुश्मनी नहीं है आरएसएस या बीजेपी से, हम चाहते हैं कि नीतियों के आधार पर कार्यक्रमों के आधार पर सिद्धांतों के आधार पर राजनीति हो, हम जनता के लिए क्या करना चाहते हैं और देश के लिए क्या करना चाहते हैं। वो मुद्दा आधारित राजनीति करने के बजाय चुनाव के अंदर जनता के बीच जाओ तो जनता में मुद्दे रखो, इश्युबेस्ड चुनाव कैंपेनिंग के बजाय यह राष्ट्रवाद और धार्मिक बातें, सेनाओं के पराक्रम पूरे देश को गर्व होता है इंदिरा गांधी जी ने उस जमाने में 71 के वॉर में क्या-क्या नहीं किया, लाल बहादुर जी के समय वॉर हुआ तब भी हम जीते थे , खालिस्तान नहीं बनने दिया, आतंकवाद समाप्त हो गया और सैक्रिफाइस किया इंदिरा जी ने खुद ने। उनका ज़िक्र यह कभी नहीं करेंगे कि हमारे महान नेताओं ने यह काम भी किया, कांग्रेस मुक्त भारत बनाने की बातें करते हैं मेरा मानना है कि कांग्रेस मुक्त बनाने वाले खुद मुक्त हो जाएंगे। और अब जो हमारा मेनिफेस्टो आया है उसमें न्याय योजना आई है, यह पूरा गेम चेंज करेगी देश का जैसे नरेगा ने किया था, नरेगा के माध्यम से विश्व मे पहली योजना है जिसमें 100 दिन की गारंटी कानून बना कर दी गई थी देश के लोगों को और उस वक्त भी इन्होंने आलोचना करी थी नरेगा की, नरेगा को कमजोर कर दिया था। हम जब शासन में आए थे तब 900000 लोग लगे हुए थे अब करीब 3000000 लोग काम कर रहे हैं नरेगा के अंदर भी, इनकी सोच अलग तरीके की है। अब न्याय योजना आई है, कहां तो 6000 देंगे प्रतिवर्ष दो दो हजार देंगे किस्तों में और हमारे मेनिफेस्टो में लिखा गया है कि 6000 प्रति महीने देंगे। 6000 प्रति महीने और 6 हजार प्रतिवर्ष, पर मार्केटिंग उनकी इतनी ज्यादा है पूरा मीडिया चाहते हुए भी दबाव के अंदर निष्पक्ष नहीं बता पा रहा है देशवासियों को सच्चाई क्या है, ईडी का डर अलग, इनकम टैक्स का डर अलग और सीबीआई का डर अलग तो मीडिया के जो मालिक लोग है, जो संपादक है जो एंकर है वह सब लोग दबाव के अंदर है, यह बहुत चिंता का विषय है लोकतंत्र के लिए। और एक बात जो बहुत महत्व रखती है किसान का अलग बजट यह अपने आप में आजादी के बाद में पहली बार हो रहा है किसान का अलग बजट आएगा और बजट आने के मायने आप समझ सकते हो जैसे रेलवे का अलग बजट आता है, इन्होंने खत्म कर दिया तो रेलवे का विकास आज 70 साल में इसलिए हुआ है अलग बजट आने से रेलवे की प्रायोरिटी रही, कोच फैक्ट्री या लगे या नैरो गेज से मीटर गेज हो , मीटर गेज से ब्रॉडगेज हो , ट्रेन चले जनप्रतिनिधि मांग करते हैं अपने क्षेत्र में और बजट में रेलवे संबंधित जो भी मांगे हैं उनको आप उठा सकते हो पार्लियामेंट के अंदर अलग से। किसान बजट के मायने है मेरी दृष्टि में मेनिफेस्टो में 5-7 बिंदु सबसे अलग होते हैं तो मैं मानता हूं की किसान बजट की घोषणा करना अपने आप में राहुल गांधी जी की ऐतिहासिक घोषणा है। आप खुद समझ सकते हो जितनी किसानों की समस्याएं हैं, एक तो आप उठाते हो कि कैनाल में पानी गंदा आ रहा है, पानी पूरा आ नहीं रहा है या फीडर खराब है उसकी मरम्मत नहीं हो रही है और एक बजट ही अलग हो किसानों का, तो जितनी देश में समस्याएं हैं इंटरनल स्टेट के झगड़े हो, किसानों से संबंधित कोई भी समस्या हो कोई उनकी मांगे हो उनको प्रॉपर तरीके से किसान बजट के अंदर कह सकता है देश का किसान, जनप्रतिनिधि यह बहुत बड़ा फैसला हुआ है। नोजवानो के लिए 3 साल तक जब वह फैक्ट्री लगाएंगे स्मॉल या मीडियम सरकार पूछ नहीं पाएगी उनको, उनको कोई तकलीफ नहीं आएगी हर चीज के लिए सरकार से परमिशन लो ऐसे कई फैसले किए हैं। अभी पब्लिक मीटिंग है आप सब वहां आमंत्रित है बाकी बातें वहां पर भी करेंगे।