28 Oct 2018
भाजपा सरकार प्रदेश में किसानों की विषम आर्थिक स्थिति, आत्महत्या जैसी घटनाओं, त्यौहारी सीजन और बुवाई के लिये खाद-बीज की जरूरतों के सवाल पर आंख मूंद कर बैठी है। बाजरा उत्पादन से आशान्वित किसान को भी अब तक निराशा ही हाथ लगी है। न्यूनतम समर्थन मूल्य 1950 रूपये प्रति क्विंटल से कम कीमत पर बाजरा बेचने के लिये मजबूर किसानों को प्रति क्विंटल 500-600 रूपये तक की आर्थिक हानि हो रही है। सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) पर बाजरे की खरीद की अब तक कोई व्यवस्था नहीं की गयी है, राज्य सरकार को तत्काल खरीद केन्द्र खोलकर बाजरे की खरीद व्यवस्था प्रारम्भ करनी चाहिये। प्रदेश में लगभग 40 लाख मैट्रिक टन बाजरे का उत्पादन हुआ है। भाजपा सरकार ने अब तक न तो बाजरा खरीदने की जरूरत समझी और न ही इसके लिये कोई तैयारी की। प्रदेश में हुये कुल उत्पादन के यदि 30 प्रतिशत (12 लाख मैट्रिक टन) बाजरे की ही खरीद की व्यवस्था की जाती तो इससे लगभग 7 लाख किसान लाभान्वित होते। केन्द्र सरकार ने चार माह पहले एम.एस.पी. में 97 प्रतिशत की वृद्धि कर बाजरे का खरीद मूल्य 1950 रूपये प्रति क्विंटल निर्धारित तो कर दिया था परन्तु आज तक खरीद की कोई व्यवस्था नहीं कर किसानों को भ्रमित करने का ही काम किया है। किसानों को बाजरा के घोषित समर्थन मूल्य के बजाय 1300-1400 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है जो किसानों की आय को दुगनी करने के दावे करने वाली सरकार की पोल खोलने के लिये काफी है। कांग्रेस सरकार के समय प्रदेश में पहली बार समर्थन मूल्य पर बाजरे की खरीद की गयी थी। फिलहाल समर्थन मूल्य घोषित होने के बाद भी बाजरे की खरीद नहीं होने से किसान मारा-मारा फिर रहा है।