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23 Sep 2020
"सदियों की ठण्डी-बुझी राख सुगबुगा उठी, मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो, सिंहासन खाली करो कि जनता आती है" मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों पर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी की ये पंक्तियाँ कितनी प्रासांगिक हैं, दिनकर जी की जयंती पर शत शत नमन।