29 Aug 2018
आरबीआई की रिपोर्ट से फिर साबित हो गया है कि नोटबंदी व्यापक स्तर की 'मोदी मेड डिज़ास्टर' थी। चलन से बाहर हुए 99.30 फीसदी नोट वापस आ चुके हैं। जो बात हम लगातार कहते आ रहे थे कि नोटबंदी एक गलत फैसला है वह अब साबित हो चुका है। नोटबंदी की पूरी प्रक्रिया बुरी तरह फेल हो चुकी है, यह एक बड़ी नाकामी थी। मेरा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से सवाल है कि क्या वे इसकी ज़िम्मेदारी लेंगे? प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और वित्तमंत्री श्री अरुण जेटली के अतार्किक, अव्यावहारिक और अपरिपक्व निर्णय ने देशवासियों के जीवन में उथल-पुथल मचा दी, देश की अर्थव्यवस्था ठहर गयी.... लोग अपनी मेहनत की कमाई के लिए महीनों लाइन में खड़े रहे, सैंकड़ों की संख्या में लोगों की जान चली गयी। नोटबंदी की पूरी प्रक्रिया से न केवल भारतीय रिजर्व बैंक की प्रतिष्ठा और गरिमा को नुकसान पहुंचा है बल्कि विदेशों में भारत की साख भी प्रभावित हुई है। इसके लिए जिम्मेदार प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री को देश से माफी मांगनी चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह ने नोटबंदी के कारण अर्थव्यवस्था को नुकसान की आशंका व्यक्त की थी और यह सही साबित हुई है। नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है। विमुद्रीकरण यह साबित करता है कि एनडीए सरकार की वित्तीय योजनाएं पूरी तरह फ्लॉप हैं। इससे पीड़ित भारतीय अर्थव्यवस्था को सम्भलने में लंबा समय लगेगा। क्या किसी निर्वाचित सरकार को देश के वित्तीय ढाँचे को झकझोर देने और आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर देने का हक है...?