10 Sep 2020
वनों एवं वन्यजीवों का संरक्षण राज्य सरकार की प्राथमिकता है। इस दिशा में राज्य सरकार किसी तरह की कमी नहीं रखेगी। आज पूरी दुनिया पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से जूझ रही है। हमारा दायित्व है कि वनों के संरक्षण के साथ वन्यजीवों को बचाने के लिए समर्पित भाव से प्रयास करें। पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने के लिए सरकार आवश्यक कदम उठाएगी। निवास से वीसी के माध्यम से स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक को संबोधित किया। बोर्ड की इस 11वीं बैठक के बाद नई सोच के साथ कार्यप्रणाली में बदलाव करते हुए वन्य जीवों के संरक्षण की मूल भावना को ध्यान में रखते हुए सकारात्मकता के साथ प्रयास होंगे। स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक वर्ष में कम से कम दो बार आयोजित की जाए ताकि सदस्यों एवं विशेषज्ञों के सुझावों के आधार पर वनों के विकास एवं वन्य जीव संरक्षण के लिए उचित कदम उठाए जा सकें। पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट, 1972 लागू किया और इसके बाद अप्रैल 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरूआत से बाघ संरक्षण का काम शुरू हुआ। श्रीमती गांधी की वन्य जीव संरक्षण के प्रति सोच से देश में कई टाइगर रिजर्व एवं अभयारण्य बने। तीनों बाघ परियोजनाओं के प्रबंधन एवं मॉनिटरिंग व्यवस्था को बेहतर बनाने पर जोर दिया, आमजन भी बाघों के संरक्षण को लेकर जागरूक है। सौंखलिया (अजमेर) में कृत्रिम प्रजनन के माध्यम से राजस्थान में पहली बार खरमोर के चूजे पैदा होने पर वन विभाग के अधिकारियों को बधाई, विलुप्त होती जा रही प्रजातियों के कृत्रिम प्रजनन को बढ़ावा देने के निर्देश दिए। गोडावण, खरमोर, सियागोश एवं गिद्ध जैसी विलुप्त होती जा रही प्रजातियों के संरक्षण तथा अन्य वन्य जीव प्रजातियों को बचाने के लिए वन विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी ली। वन्य जीवों के संरक्षण में स्थानीय लोगों का सहयोग लिया जाए। सांभर लेक सहित प्रदेश के अन्य वेटलैण्ड्स के संरक्षण तथा वन क्षेत्रों में तेजी से फैल रहे जूलीफ्लोरा (विलायती बबूल) के प्रभावी उन्मूलन पर जोर दिया। पिछले साल सांभर झील में प्रवासी पक्षियों की मृत्यु चिंतनीय है, स्टेट वाइल्ड लाइफ ऑथोरिटी को योजनाबद्ध तरीके से ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए। राजस्थान में पर्यटन उद्योग के विकास की अपार संभावनाएं हैं और हमारे टाइगर रिजर्व एवं अभयारण्य की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका है। टाइगर रिजर्व में आने वाले पर्यटकों से ली जाने वाली इको डवलपमेंट सरचार्ज राशि को इन रिजर्व के विकास तथा आसपास के गांवों के विकास पर खर्च करने की मांग का परीक्षण करने एवं उचित रास्ता निकालने के निर्देश दिए। वाइल्ड लाइफ डिविजन का अलग से कैडर बनाने एवं वनरक्षकों की भर्ती में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देने के लिए भर्ती नियमों में बदलाव के बारे में परीक्षण करने के भी निर्देश दिए। बैठक में बोर्ड के सदस्यों एवं विशेषज्ञों द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण सुझावों को प्राथमिकता में लेते हुए उचित कदम उठाए जाएंगे। बैठक में वन राज्यमंत्री श्री सुखराम विश्नोई ने कहा कि वन विभाग की नर्सरियों में स्थानीय पौधे एवं आयुर्वेदिक पौधे तैयार किए जा रहे हैं। विलुप्त हो रही वन्य जीव प्रजातियों के संरक्षण के लिए भी उचित कदम उठाए जा रहे हैं। बोर्ड के सदस्य एवं पूर्व मंत्री श्री भरत सिंह कुंदनपुर ने गोडावण के संरक्षण, चीता के रिलोकेशन, अभयारण्यों की सुरक्षा के लिए दीवारें बनाने एवं नदियों में फिशिंग की संभावनाएं तलाशने जैसे महत्वपूर्ण सुझाव दिए। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हॉफ) श्री जी.वी. रेड्डी ने आश्वस्त किया कि बोर्ड की बैठक में जो महत्वपूर्ण सुझाव आए हैं उन्हें प्राथमिकता के आधार पर लेते हुए विभाग द्वारा समुचित कार्यवाही की जाएगी। चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन श्री अरिंदम तोमर ने विभाग की गतिविधियों पर अपने प्रस्तुतीकरण में बताया कि रणथम्भौर, सरिस्का एवं मुकुन्दरा टाइगर रिजर्व में विशिष्ट बाघ संरक्षण बल गठित किया गया है, जिसमें बॉर्डर होमगार्ड्स को लिया गया है। उन्होंने बताया कि सहायक वन संरक्षक एवं क्षेत्रीय वन अधिकारी के पदों पर भर्ती के लिए आरपीएससी द्वारा इसी माह परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सियागोशों की गणना, खरमोरों को रेडियो कॉलर लगाने, गांगीय डॉलफिन के संरक्षण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। वीसी के माध्यम से हुई इस बैठक में बोर्ड के सदस्य एवं विधायक श्री खुशवीर सिंह जोजावर, बोर्ड सदस्य एवं विधायक श्री किशनाराम विश्नोई, बोर्ड सदस्य श्री सुनील मेहता, श्री धीरेन्द्र गोधा, श्री सनी सेबेस्टियन, श्रीमती सिमरत कौर संधू, श्री जैसल सिंह, श्री सूरत सिंह पूनियां, श्री हरसहाय मीणा, श्री नीकाराम गरासिया भी जुड़े और महत्वपूर्ण सुझाव दिए। बोर्ड में विशेषज्ञ के तौर पर शामिल वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन ट्रस्ट मुंबई के श्री हेमेन्द्र कोठारी, वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के प्रतिनिधि डॉ. वाई वी झाला, बॉटनीकल सर्वे ऑफ इंडिया के प्रतिनिधि श्री विनोद मेना, जूलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के प्रतिनिधि श्री संजीव कुमार, डॉ. के एस गोपीसुन्दर ने भी महत्वपूर्ण सुझाव दिए। इस बैठक में मुख्य सचिव श्री राजीव स्वरूप, अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त श्री निरंजन आर्य, अति. मुख्य सचिव टीएडी श्री राजेश्वर सिंह, प्रमुख सचिव वन एवं पर्यावरण श्रीमती श्रेया गुहा, प्रमुख सचिव कृषि श्री कुंजीलाल मीणा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।