09 Sep 2018
राजस्थान सहित 4 राज्यों में आगामी विधानसभा चुनाव के परिप्रेक्ष्य में राजनीतिक हित साधने के लिए राज्य सरकारों द्वारा विज्ञापनों एवं प्रचार-प्रसार पर खर्च किये जाने वाले सरकारी धन के दुरुपयोग पर रोक लगनी चाहिए। चुनाव आयोग का स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न कराने का महत्वपूर्ण दायित्व है। इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि चुनाव वाले राज्यों के सत्ताधारी दलों पर इस प्रकार से राजनीतिक हित को साधने के लिए सरकारी धन एवं मशीनरी के दुरुपयोग पर चुनाव आयोग को रोक लगानी चाहिए। मध्यप्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में राजनीतिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए जन आशीर्वाद यात्रा, गौरव यात्रा और विकास यात्रा निकाली जा रही है जिनमें सरकारी धन एवं मशीनरी का दुरुपयोग किया जा रहा है। इन यात्राओं के साथ-साथ भाजपा सरकारों द्वारा राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक समाचार पत्रों एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया में लगातार भारी सरकारी खर्च से बड़े-बड़े विज्ञापन प्रसारित किये जा रहे हैं। राजस्थान में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा गौरव यात्रा में सरकारी कार्यक्रम एवं सरकारी धन के दुरुपयोग पर रोक लगाने का आदेश पारित कर दिया गया है, बावजूद इसके सरकार द्वारा इस संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किये गये हैं। पहले जयपुर में प्रधानमंत्री-लाभार्थी जन संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें राज्यपाल महोदय की उपस्थिति में प्रोटोकोल को दरकिनार कर पार्टी विशेष की बात की गई। फिर प्रदेश भर से एस.सी./एस.टी. के लाभार्थियों, सफाई कर्मचारियों को संवाद के नाम पर जयपुर बुलाया गया। इसी तरह से नवचयनित शिक्षकों को बुलाकर जयपुर में शिक्षक दिवस समारोह आयोजित किया गया। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभान्वित परिवारों के लिये भामाशाह डिजिटल परिवार योजना लागू की गयी, जिसमें अन्तर्गत सरकारी खजाने से मोबाइल हेतु राशि उपलब्ध करवाई जा रही है। जबकि इन सभी कार्यों की ना तो बजट में कोई घोषणा की गई और ना ही कोई बजट प्रावधान हुआ। आनन-फानन में आदेश निकाले गये। चुनावी लाभ लेने के लिये सरकारी पैसे एवं मशीनरी के दुरुपयोग को रोका जाना चाहिए। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के विधि, मानवाधिकार, आरटीआई विभाग के चैयरमेन एवं सांसद श्री विवेक के. तन्खा ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर इस संबंध में शिकायत दर्ज करवाई है।