01 Jan 2020
आपश्रीमंत की तरह मैं खुद भी मानता हूं, कि हमारी संस्कृति 'अंग्रेजी कलेंडर' के अनुसार नहीं चलती। चुनांचे 'अंग्रेजी कलेंडर' आज की राजकीय शासन व्यवस्था का हिस्सा बन चुका। ऐसे में 'अंग्रेजी कलेंडर' के साथ चलते रहना अनिवार्यता बन गई।खास तथ्य यह है, कि आज हमारी युवा पीढ़ी खुद भी इसी 'अंग्रेजी कलेंडर' के मुताबिक चल पड़ी। चाहे वेलेंटाइन - डे हो या 31 दिसंबर। इन देशज परिस्थितियों में भी जहां बुजुर्गों की राय से मैं खुद को अलग नहीं रख सकता, वहीं युवाओं की सोच को भी दरकिनार रखकर आगे की ओर कदम नहीं उठा सकता। अतएव इसी परंपरा के तहत मेरे विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत रहवासी किसान भाइयों, बुजुर्गों, माताओं, बहनों, युवा साथियों, प्रोफेशनल्स, पत्रकार, कवि, अध्यापक, एडवोकेट, डॉक्टर, व्यापारी, कर्मचारी, उद्योगपति, अधिकारी, विद्यार्थी आदि को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं सम्प्रेषित करता हूं। इसके साथ ही शुभेच्छा व्यक्त करता हूं, कि इस नूतन वर्ष 2020 में आप सभी श्रीमंतगण सुख, शांति एवं सम्रद्धि अर्जित करें और आपकी पारिवारिक इकाई तथा घर - आंगन में तमाम प्रकार की खुशियां वर्षभर प्रवाहित होती रहें। लगे हाथ आप सभी श्रीमंतगण से यह भी करबद्ध विनन्ति करता हूं, कि अभी कुछ दिनों से लगातार पड़ रही कड़ाके की ठंड से परिवार को सुरक्षित रखें। खासकर बुजुर्गों, बच्चों, बीमारजनों आदि का विशेष ख्याल रखें। अचानक ठंड बढ़ने का कारण यह है, कि उत्तरी अक्षांशीय ठंडे इलाकों से उत्तरी सर्द हवाएं लगातार राजस्थान में प्रवेश कर रही हैं। इसके चलते वातावरण ठंडा अाैर शुष्क हाे चला अाैर न्यूनतम तापमान में अप्रत्याशित गिरावट आ गई। यह गिरावट यदि 6 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हाे जाए, ताे तब 'वैरी काेल्ड डे' की श्रेणी में माना जाता है, जबकि अमूमन एेसी स्थिति जनवरी में हाेती है। उत्तर से लेकर मध्य एवं पूर्वी भारत में शीत लहर की आफत के बाद अब बारिश, ओलावृष्टि एवं बर्फबारी से लोगों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। उत्तर पाकिस्तान और इससे सटे जम्मू-कश्मीर के करीब एक पश्चिमी विक्षोभ बना हुआ है जो उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों को प्रभावित कर रहा है। इससे जम्मू-कश्मीर के उत्तरी एवं पश्चिमी भागों में बारिश और बर्फबारी के आसार हैं। मौसम विभाग की मानें तो नए साल के पहले दिन पश्चिमी विक्षोभ के और आगे बढ़ने की वजह से उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में भी बारिश के साथ ओले पड़ेंगे। पश्चिमी विक्षोभ के कारण ही जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश होने के आसार बन रहे हैं। इससे अधिकतम और न्यूनतम तापमान बढ़ेगा जिससे लोगों को कड़कड़ाती सर्दी से फौरी राहत तो मिल जाएगी, लेकिन चार और पांच जनवरी से सर्दी का दूसरा दौर देखने को मिल सकता है। आपश्रीमंत को अवगत करा दूं, कि यह सब जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है। जलवायु परिवर्तन से ही मौसमी गतिविधियां अब चरम पर पहुंचने लगी हैं। गर्मी में तापमान बहुत अधिक चला जाता है, तो मानसून में बारिश का रिकॉर्ड टूटने लगा है। इधर सर्दियों में शीतलहर भी ज्यादा ही लंबी चल रही है। लगभग एक पखवाड़े से बादल महज 200 से 300 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद हैं। नमी, धूल और प्रदूषण ने बादलों की परत को और मोटा कर दिया, जिससे सूरज की किरणों धरती तक नहीं पहुंच पा रही हैं। नतीजतन ठंड बढ़ गई है। कोहरे के चलते दिल्ली से होकर आने-जाने वाली 34 ट्रेनें देर से चल रही हैं। इसके साथ ही दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण में भी इजाफा हुआ है। राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता का स्तर मंगलवार को खतरनाक श्रेणी 431 पर पहुंच गया। इसका प्रत्यक्ष असर विजयबलिटी पर पड़ रहा है, जो घटकर 50 मीटर से भी कम हो गई। ऐसे में बेहतर होगा, कि अभी कुछ दिनों के लिए यात्रा पर निकलना टालें। ।।सादर प्रणाम।। Indian National Congress Indian National Congress - Rajasthan