16 Sep 2018
During Kaumi Ekta Conference मुझे बहुत ख़ुशी है की कौमी एकता कांफ्रेंस का आयोजन पीस मिशन सोसायटी ने किया है जो तारीफ के काबिल है। मैं उनको मुबारकबाद देता हूँ जो सही समय पर सही कदम उठाया। चुनाव से पहले हम सबको एक साथ बैठने का सन्देश दिया। आपने देखा होगा कि हालात क्या है देश के, धर्म क्या है, मानवता क्या कहती है उस पर आप लोगो ने सब बाते सुनी है आज इस देश के इन्सान को सोचने को मजबूर होना पड़ रहा है जैसे राहुल गांधी जी कहते है गुजरात में भी मैं उनके साथ था लगातार हर जगह उन्होंने कहा कि इस देश में नफरत की, घृणा की, हिंसा की राजनीति नहीं होनी चाहिए। इस देश में विचारधारा की लड़ाई हो सकती है पर आपस में प्रेम, भाईचारा, मोहब्बत अहिंसा कैसे कायम रहे उसको आधार बनाने राजनीति होनी चाहिए। दुर्भाग्य से आज जो लोग सत्ता में बैठे हुए है, उनके जो मंसूबे है उनको विस्तार से बताने की मुझे जरूरत नहीं है। जिस प्रकार से अच्छे दिन की बात करते-करते जो वादे किये तो वो तो पता नहीं कहा चले गए जिस प्रकार से आज हालात बने है देश में अविश्वास का माहौल है, डर का माहौल है, भय का माहौल है ऐसा पहले कभी देखने को नहीं मिला। जिनकी फितरत ऐसी ही असत्य बोलने की उनके बारे में क्या कहा जाए? अब कह दिया की अगली बार जीते तो 50 साल तक हम राज करेंगे ये फासिस्ट लोग है इनका लोकतंत्र में यकीन नहीं है इसी लिए तो हम आरोप लगाते है इन पर, इनका लोकतंत्र में विश्वास है ही नहीं खाली मुखौटा पहना हुआ है लोकतंत्र का। जाने अनजाने में बीजेपी की कार्यकारिणी में यह बात सामने आई है 50 साल तक राज करेंगे हम लोग 2019 में सत्ता में आ गए तो इसके मायने क्या है? इसके मायने है यह की जो गांधीजी, पंडित नेहरु, सरदार पटेल, मौलाना आजाद थे जिन्होंने संविधान बनाया जिसमे राजा और रंक को एक वोट का अधिकार दिया, महारानी हो चाहे मेहतरानी हो उसका भी एक वोट का अधिकार है, एक वोट का अधिकार ही जो है तमाम जो चुने हुए जनप्रतिनिधि होते है चाहे वो पंचायत के हो, MLA हों या MP हो, मंत्री हो, मुख्यमंत्री हो, प्रधानमंत्री हो। जनता की जो अदालत है, जनता माई बाप होती है एक वोट का जो मालिक होता है उसके पैरो के हाथ लगाना पड़ता है, झुकना पड़ता है, सलाम करना पड़ता है, वोट मांगना पड़ता है उसी से उसका मान-सम्मान बढ़ता है यही लोकतंत्र की खासियत है। ये चाहते हैं की 50 साल तक हम ऐसी स्थति पैदा कर दे अगली बार जीत करके, संविधान को इस प्रकार तोड़ मरोड़ दे जैसा चाइना के अंदर है चुनाव होते भी है और नहीं भी होते। अगर वोट मांगने की स्थति रहेगी ही नहीं देश की 130 करोड़ की आबादी है इसका मान-सम्मान लोकतंत्र की बुनियाद पर टिका हुआ है, वो कहाँ रहेगा यह बहुत चिंता का विषय है।