21 Aug 2017
कल एक बार फिर मानवता तार तार हो गई और पूरे राजस्थान का सिर शर्म से झुक गया। अलवर के बहरोड़ में चिकित्सकों की लापरवाही के चलते अस्पताल के अहाते (सड़क के किनारे) में साड़ियों की ओट में एक महिला ने बच्ची को जन्म दिया। कुछ दिनों पूर्व जयपुर में जयपुरिया सरकारी अस्पताल में डॉक्टर्स ने गर्भवती महिला को एडमिट करने से मना कर दिया था और फिर अस्पताल के बाहर सड़क में ही महिला ने बच्ची को जन्म दिया था। हजारों करोड़ रुपए स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर खर्च करने के बाद भी यहां पर परिणाम शून्य ही है। किस मुंह से हम "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" का नारा लगाते हैं, जब बेटियों को सड़क के किनारे जन्म लेना पड़ रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत जी के कार्यकाल में गरीबों के लिए मुफ्त दवाओं हेतु "मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना"की शुरुआत की गई थी, जिसमें 612 तरह की दवाएं एवं 73 अन्य वस्तुएं (इंजेक्शन, उपकरण) मरीजों को मुफ्त उपलब्ध कराये जा रहे थे, लेकिन वर्तमान से मुश्किल से 60 किस्म की दवाएं ही निःशुल्क उपलब्ध हैं। लगभग हर स्वास्थ्य सेवा को PPP मोड पर दिया जा रहा है, जिससे सरकार की कोई जवाबदेही ही न बचे। अच्छा स्वास्थ्य सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि स्वस्थ नागरिक ही देश की तरक्की में योगदान कर सकता है। राजस्थान सरकार से निवेदन है कि इस पर ध्यान दे, जनता यह सब देख रही है।