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    Press Conference at Residence- जो हालात है राजस्थान में उससे आप सभी वाकिफ हैं, कितना बड़ा धोखा हुआ है जनता के साथ में। डेमोक्रेसी में जनता ही माई-बाप होती है उन्होंने जिस रूप में भाजपा को भारी बहुमत दिया, उस रूप में जनता की आशाओं और अपेक्षाओं पर मुख्यमंत्री वसुंधरा जी खरी नहीं उतरीं। मुझे इस बात का अफ़सोस है की उन्होंने काम करने के, शासन करने के प्रयास भी नहीं किये। अगर आप प्रयास करो उसमें कुछ कमियां रह जाए तो बात अलग है लेकिन लेकिन आप प्रयास भी नहीं करो तो यह एक प्रकार से क्राइम है। क्यूंकि आप पर विश्वास किया , मोदी जी पर विश्वास किया और उसके बाद में आपने जनता को धोखा दिया, लापरवाही से शासन किया। कभी दिल्ली, कभी धौलपुर हैलीकॉप्टर उड़ता रहा 7-7 दिन, दिल्ली में धौलपुर में कभी-कभी उज्जैन में भी। मतलब उनको ढूंढना पड़ता है की जयपुर में ट्यूर कब है मुख्यमंत्री जी का। जिस मुख्यमत्री की हालत यह है की जयपुर जो की राजधानी जहां से शासन होता है वहां वे कब पधार रही हैं, पूरा शासन सीएमओ पर छोड़ दिया है। तन्मय कुमार नाम का अधिकारी de facto मुख्यमंत्री के रूप में काम कर रहा था और शासन के जो फैसले हुए हैं, गलत हों, सही हों, अत्याचार के हों, अन्याय के हों, तंग करने के हों सभी में इंस्ट्रक्शंस उनके जाते थे।आईएस ऑफीसर्स कहो, आरएएस ऑफीसर्स कहो डराने-धमकाने का काम वसुंधरा जी ने उनके थ्रू किया इस बार। ये पता नहीं की एक आईएएस ऑफीसर होकर के उनकी जिम्मेदारी केंद्र के प्रति भी होती है ये समझ से परे हैं की उसने उस जिम्मेदारी को नहीं निभाके मुख्यमंत्री के गुलाम की तरह काम किया। और इसलिए पूरे राजस्थान में शासन नाम की चीज नहीं रही। इवेंट मैनेजमैंट और कंसल्टेंट को करोड़ों रूपये दिए गए और फिजूल खर्ची की गयी रिफाइनरी भी उसीमें आता है। भारत सरकार की स्टेट बैंक इंडिया की सब्सीडिरी कम्पनी (एस.बी.आई. केपिटल) से हमने पूरी रिफाइनरी का प्रोजेक्ट बनवाया था उसके बजाय एक प्राइवेट कम्पनी को देकर आपने चार साल बर्बाद कर दिए और असत्य बोलकर के लोगों को गुमराह कर रहे हैं कि 40 हजार करोड़ हमने बचा लिए। किसी प्राइवेट फर्म को ठेका दे रही थी क्या स्टेट गवर्नमेंट रिफाइनरी का? भारत सरकार की कम्पनी ओएनजीसी या एचपीसीएल राजस्थान की नई बनाई कम्पनी हमने उनके बीच में समझौता था तो किसको पैसा दिया जा रहा था ज्यादा? इस तरह गुमराह करके बर्बाद किया है रिफाइनरी को, आज भी खाली दीवार बनी है प्रधानमंत्री के आने के बाद। इस प्रकार जो तुनकमिजाजी के साथ में फैसले किये हैं वसुंधरा जी ने अहम् और घमंड में तमाम जो हमारी योजनाए थीं उनके नाम बदल दिए, जयपुर मेट्रो के सैकिंड फेज का पता नहीं, परवन नदी पर बाँध डिले कर दिया, आदिवासियों ने रेल देखी नहीं हमने वहां रेल गाड़ी का काम शुरू करवा दिया था, जमीन अक्वायर्ड हो गयी, मेमू कोच फैक्ट्री का नाम नहीं लिया प्रयास भी नहीं किये। लगना नहीं लगना दूसरी बात होती है कई प्रोजेक्ट में दिक्कत आती है। वसुंधरा जी ने मेमू कोच फैक्टी के प्रयास भी नहीं किये यह मैं कहना चाहता हूँ। मैंने सरमथुरा पर शिलान्यास किया था, धौलपुर से सरमथुरा तक नैरो गेज से ब्रॉडगेज और सरमथुरा से गंगापुर तक नई ब्रॉडगेज बनेगी प्रॉजेक्ट गायब कोई प्रयास नहीं। अजमेर से नसीराबाद होते हुए सवाईमाधोपुर टोंक को जोड़ने की बात थी कोई पता नहीं उसका। हमने जो काम किये थे और वसुंधरा जी की क्या प्रायोरिटी क्या रही है... माइनिंग डिपार्टमेंट, जयपुर पुलिस कमिश्नरेट... मुझे आश्चर्य होता है कि इस प्रकार धोखा देकर के जो अन्याय किया गया है उसके कारण जो माहौल खराब हुआ राजस्थान में सरकार का इक़बाल समाप्त हो गया। मुख्य्मंत्री कभी सर्किट हाउस में रुकी नहीं, साढ़े चार साल नहीं बल्कि साढ़े नौ साल के अंदर। जब इक़बाल खत्म होता है तो गुंडों को, असामाजिक तत्वों को, डकैतों को शह मिलती है कि हम कुछ भी करेंगे तो राज्य का इक़बाल तो है नहीं हमारा कोई क्या बिगाड़ लेगा। इस तरह की घटनाएं जो आप रोज-रोज सुन रहे हो चाहे डकैती हो, चाहे बच्चियों के साथ में रेप हो, पति के सामने रेप होना कल्पना कर सकते हो क्या बीती होगी उस परिवार पर ऐसी दर्दनाक और भयावह घटनाएं जो सुनते ही रूह काँप जाती है ऐसी घटनाएं इस भाजपा राज में हो रही हैं।