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युद्ध और अशांति के वातावरण में शांति और सद्भावना की ओर...
#शांति_यात्रा, 12 मार्च 2022 प्रातः 08:30 बजे
दांडी यात्रा (12 मार्च 1930 से 6 अप्रैल, 1930) की स्मृति में
यात्रा मार्ग: जयपुर शांति और अहिंसा निदेशालय, खादी बोर्ड, जे.एल.एन. मार्ग से गांधी सर्किल तक
इस दौरान मीडिया से भी बात की:
सवाल- गांधी के संदेश को पहुंचाने के लिए पिछले 2 साल में सरकार ने कई कार्यक्रम किए हैं, उसी सिलसिले में आज युवाओं तक बड़ा संदेश आप पहुंचाना चाहते हैं गांधी का, किस तरह रहेगा ये..
जवाब- देखिए महात्मा गांधी का संदेश जो देश और देश के बाहर दुनिया के अंदर है, जब संयुक्त राष्ट्र संघ ने उनके जन्मदिवस को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाने का तय किया, उससे हम समझ सकते हैं कि गांधी का सत्य का मार्ग, अहिंसा का मार्ग किस रूप में जन-जन तक पहुंचा है, दुनिया जो मना रही है उनके जन्मदिवस को तो हम समझ सकते हैं कि हमें गर्व होना चाहिए कि हमारे देश के अंदर शांति रहे, सद्भावना रहे, हम लोग सत्य के मार्ग पर चलें, अहिंसा के मार्ग पर चलें, ये हमारी भावना होनी चाहिए। ये दांडी मार्च का उद्देश्य ही यही है, जिस प्रकार से गांधी जी ने अंग्रेजों के वक्त के अंदर नमक सत्याग्रह करके, दांडी मार्च निकालकर संदेश दिया और अंग्रेजों को झुकना पड़ा, मैं समझता हूं कि आज जिस प्रकार के हालात देश के अंदर हैं, हिंसा का माहौल है, तनाव का माहौल है, मैं समझता हूं कि वो उचित नहीं है। हमें भी गांधी के मार्ग पर चलते हुए आज जो चतुराई से राजनीति कर रहे हैं, आज हिंदुत्व के नाम पर राजनीति हो रही है, हम सब हिंदू हैं, राजनीति हिंदुत्व के नाम पर हो रही है, ध्रुवीकरण हो रहा है, चतुराईपूर्ण भाषण दिए जा रहे हैं, तो चतुराई से भाषण देना एक बात है, आप चुनाव जीत सकते हैं परंतु अल्टीमेटली अगर आप देश में शांति रखेंगे, सद्भावना रखेंगे, प्यार-मोहब्बत से संबंध रखेंगे, सत्य के मार्ग पर चलेंगे हम लोग, हिंसा का माहौल नहीं रहेगा, अहिंसा का मार्ग अपनाएंगे गांधी वाला, तब जाकर ये देश एक रहेगा, अखंड रहेगा और मजबूत बनेगा मेरा मानना है, उस रास्ते पर चलने के लिए एक प्रयास हैं छोटे-छोटे, आज दांडी मार्च का जो प्रोग्राम किया गया शांति व अहिंसा प्रकोष्ठ के माध्य्म से, मैं समझता हूं कि ये संदेश देगा पूरे प्रदेशवासियों को कि राजस्थान के जयपुर के अंदर ये शांति मार्च निकाला गया, विश्व के अंदर शांति कायम हो, विश्व के अंदर, आज जिस प्रकार से यूक्रेन के अंदर रूस के साथ में जो युद्ध चल रहा है, पूरी दुनिया कह रही है कि शांति स्थापित होनी चाहिए, शांति का मार्ग ही मैं समझता हूं देश और दुनिया के हित के अंदर है। युद्ध के अंदर कितने लोग मारे जा रहे होंगे, क्या हो रहा होगा, किसी को नहीं मालूम है। तो ये मार्च निकलता है तो उससे जनभावना पैदा होती है जो गांधी जी ने दिखाई थी। आज भी युवा पीढ़ी को जरूरी है कि उनको बताएं हम लोग कि किस प्रकार से गांधी का मार्ग था, जिस मार्ग पर आपको चलने की आवश्यकता देशहित के अंदर है, ये मेरा निवेदन है।
सवाल- भाजपा ने बरगलाकर सत्ता हासिल की है?
जवाब- प्रधानमंत्री जी जिस प्रकार से बोलते हैं, चतुराईपूर्ण बोलते हैं, चतुराई से भाषण देते हैं, वो एक पक्ष हो सकता है उनका, अब वो विपक्ष पर आरोप लगाते हैं कि वो एजेंसियों को बदनाम कर रही है, पूरा देश देख रहा है कि देश में क्या हो रहा है, दुनिया के अंदर क्या हो रहा है, हिंदुस्तान में क्या हो रहा है, ज्यूडीशियरी में क्या हो रहा है, इनकम टैक्स, ईडी, सीबीआई में क्या हो रहा है, दुनिया देख रही है कि कैसे छापे पड़ रहे हैं देश के अंदर एकतरफा, सबको मालूम है। वो उसको लेकर भी विपक्ष को बदनाम कर रहे हैं, चतुराईपूर्ण रूप से भाषण देते हैं और लोग देखते हैं कि पता नहीं भाई प्रधानमंत्री बोल रहे हैं तो सच्चाई होगी। आम जनता तक हमें पहुंचाना पड़ेगा सच्चाई को, तब जाकर मैं समझता हूं कि ये पूरी तरह बीजेपी वाले लोग भी एक्सपोज होंगे, सच्चाई सामने आएगी और मार्ग जो गांधी का था, उस पर हम चल पड़ेंगे, ये मेरा मानना है।
सवाल- 5 राज्यों के चुनाव परिणामों को कैसे देखते हैं
जवाब- वो ही मैंने देखा अभी, हिंदुत्व के नाम पर, ध्रुवीकरण के नाम पर चतुराई से वक्तव्य देकर चुनाव जीत गए। हालात गंभीर हैं पूरे देश के अंदर, राज्यों में। कोरोना का प्रबंधन कैसा हुआ यूपी के अंदर, सबको मालूम है, जन-जन को मालूम है, वो सवाल तो पीछे रह गए, पीछे रह गए क्योंकि आप चतुराई से अपनी बात कहते हैं, पूरा मीडिया साथ देता है, पूरा मीडिया देश का जो गोदी मीडिया कहलाता है, वो दबाव के अंदर है खुद, मजबूरी में जानबूझकर या अनजाने में, ये तो वो तय करेंगे, पूरा मीडिया आज जिस प्रकार से फोकस किए हुए है और पूरे चुनाव को फोकस किया उससे माइंड बदला लोगों का। तो मीडिया का जो पर्दा है, पर्दा आपके मीडिया का स्क्रीन, उसका खेल था, कैसे आपने चतुराईपूर्ण बातें की वहां पर, पर मेरा मानना है कि अंतिम विजय सच्चाई की ही होती है।