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    देखिये भामाशाह योजना शुरू ही नहीं करनी चाहिए थी, क्यों की जब हमने हमारे शासन के वक्त में फ्री मेडिसिन, फ्री चेकअप शुरू किया था उस वक्त हमने स्टडी करवाई थी आंध्रप्रदेश में और ये जानकारी मिली कि इसमें बहुत संभावनाएं रहती है करप्शन की, मिली भगत की और मरीजों का इलाज ढंग से हो नहीं पता, फर्जी बिल उठते हैं यह सोचकर के हमने नया निर्णय किया की हमे जेनेरिक दवाइयां देनी है फ्री और टेस्ट फ्री करने है जो बहुत पॉपुलर हुए WHO तक ने तारीफ की उसकी। दुर्भाग्य से जब नई सरकार आई तो इन्होने हमारी हर योजना को चाहे रिफाइनरी, मेट्रो, ब्रॉडगेज, बाँध पता नहीं क्या इनके दिमाग में आया कि हर काम के नाम बदल दिए, बंद कर दिया, कमजोर कर दिया ये इनके सोच का अंग रहा है। और उसी रूप में भामाशाह लेकर के आ गए क्यों की भामाशाह कार्ड बना है उसकी जरूरत नहीं थी उसमे बहुत बड़ा करप्शन हुआ है क्यों की 400-500 करोड़ रूपये खर्च हुए है इसके अंदर जब आधार कार्ड है तो भामाशाह कार्ड की जरूरत क्या पड़ती है? खाली मुख्यमंत्री महोदय की फोटो लग जाए उसके लिए आप खजाने से 500 करोड़ रूपये खर्च कर दो यह कहां की समझदारी है? उस वक्त के अधिकारियो ने इनको मना भी किया था कि साहब आधार कार्ड से काम चल जाएगा तब भी वो अपनी बात पे अड़े रहे और ये भामाशाह कार्ड ले के आये और बीमा कम्पनी के माध्यम से इसको लागू किया। आज जब आप देख रहे हैं कि प्रीमियम पर रोक दी सरकार ने, आरोप लग रहे है सरकार पर तब भी इनकी नींद नहीं खुल रही है। अब जल्दी फैसला करो कम से कम मरीज जो genuine मरीज है उनको तकलीफ नहीं हो। इनको जल्दी फैसला करना चाहिए आज ये स्कीम का विवाद पैदा हुआ उसके कारण अब मरीज कहा जाएँगे? कहा इलाज करवाएँगे? ना इधर के रहे और ना उधर के। हमारी स्कीम को कमजोर कर दिया है पूरी दवाइयां ले नहीं पा रहे है लोग ऐसे स्थति में ये विवाद पैदा हुआ है और मैं शुरू से कहता हुआ आ रहा हूँ की आप गलती कर रहे है आपको आधार कार्ड यूज़ करना चाहिए आपको हमारी स्कीम को और स्ट्रॉन्ग करना चाहिए था हमने हमारे वक्त में 600 दवाइयां दी थी फ्री अब एक हजार कर देते उन्हें... आपकी वाहीवाही हो जाती, हमने डायलिसिस फ्री किया, सोनोग्राफी फ्री की, ब्लड टेस्ट फ्री किये, अब और ज्यादा टेस्ट फ्री करते आपकी वाहीवाही हो जाती पर आपने तो पूर्वाग्रह की राजनीति की। भारी बहुमत मिला आपको, जनता की आशाओं पर आपने पानी फेर दिया, 163 सीटे किसे कहते है वो आपको मिली थी, 156 मुझे मिली थी तब भी मैंने अकाल पड़ गए तो कोई कमी नहीं रखी। आज जनता को तकलीफ है इसलिए सोचना चाहिए की इतना बड़ा बहुमत मुझे मिला है तो मेरी जिम्मेदारी बनती है कि मैं कुछ करके दिखाऊ, वसुंधरा जी अगर यह दिमाग में सोच लेती 163 सीटे मिली है मुझे चाहे मोदीजी के नामसे मिली हो तो मेरी जिम्मेदारी कई गुना ज्यादा बढ़ गई है पर उन्होंने उल्टा किया, सब योजनाओ को ठप कर दिया, बंद कर दिया हमने उनकी एक योजना को बंद नहीं किया, हमने उनकी एक योजना का नाम नहीं बदला। इन्होने नाम बदलने का और ठप करने का काम ही किया, यह फर्क है सोच का उसके कारण से आज वसुंधरा जी के प्रति जो आक्रोश है गाँवों में कस्बो में, ढाणियों में, पूरे प्रदेश के अंदर।