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गांधी सर्किल, जे.एल.एन. मार्ग पर सम्बोधन... #शान्ति_यात्रा
दांडी मार्च गांधी जी के नेतृत्व में जब किया गया, तो अंग्रेजों को एक मैसेज दिया गया, किस प्रकार से हम लोग गुलाम थे अंग्रेजों के उस वक्त में जो नेतृत्व किया गांधी जी ने, करो या मरो की बात उन्होंने की, शांति व अहिंसा की बात की, सत्य के मार्ग पर चलने की बात की और आज गांधी हमारे बीच नहीं रहे पर गांधी का संदेश आज भी हमारे दिल-ओ-दिमाग के अंदर है। दुनिया लोहा मानती है, जब संयुक्त राष्ट्र संघ ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया कि हिंदुस्तान के महात्मा गांधी जो राष्ट्रपिता कहलाते हैं, उनके जन्मदिवस 2 अक्टूबर को दुनिया के मुल्क अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाएंगे तो उससे अंदाज कर सकते हैं कि गांधी के बारे में क्या सोच है दुनिया के मुल्कों की, उस गांधी के दांडी मार्च को आपने एक सिंबल के रूप में आज चाहे आप डेढ़ किलोमीटर चले होंगे पैदल परंतु एक मैसेज दिया है पूरे देश को, पूरी दुनिया को हम मैसेज देना चाहते हैं, आज भी गांधी के विचार, उनकी सोच, उनके संदेश को हम आत्मसात किए हुए हैं। हम किस प्रकार से दुनिया में शांति रहे, सद्भावना रहे, प्यार रहे, मोहब्बत रहे, भाईचारा रहे और हिंसा का माहौल नहीं बने। आज आतंकवाद छाया हुआ है मुल्क के भी कई हिस्सों में, आतंकवाद जो हिंसा है दुनिया के कई मुल्कों के अंदर, वो चिंता का विषय होना चाहिए हर नागरिक के लिए और यही सोचकर हम चाहते हैं कि कोई न कोई बहाने से हम गांधी को याद करें, जिससे नई पीढ़ी जो है, उसके सामने गांधी क्या थे, कैसे आजाद हुआ मुल्क, किस प्रकार लंबा संघर्ष हुआ, हमारे कई नेता जेलों में बंद रहे, फांसियां खाईं भगतसिंह जैसे महान नेताओं ने, लाठियां खाईं, गोलियां खाईं पर देश को आजाद करवाया, ये कोई मामूली त्याग नहीं था। जवाहर लाल नेहरू जैसे महान नेता प्रथम प्रधानमंत्री बने बाद में, 10-12 साल तक जेल में बंद रहे, कितने लोग जेल में गए ज्ञात-अज्ञात, कईओं को हम जानते नहीं हैं, एक लंबा इतिहास बनाया देश ने आजादी का, उसको भी याद करके नई पीढ़ी प्रेरणा ले सकती है। मनीष शर्मा ने ठीक कहा, जो इतिहास को याद नहीं करते, इतिहास को गलत रूप में पेश करते हैं, ऐसे लोग कभी इतिहास नहीं बना सकते हैं। आज देश में क्या हो रहा है? यही हो रहा है, इतिहास को जिस रूप में पेश किया जा रहा है, उसको आपको हम सबको सोचना पड़ेगा, समझना पड़ेगा, ऐसा क्यों किया जा रहा है।
जिन लोगों का विश्वास नहीं है महात्मा गांधी के अंदर, उनके विचारों के अंदर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, अंबेडकर, जो भी थे नेता उस जमाने के महान नेता थे, उनके विचार क्या थे, उन पर चलकर आप आगे बढ़ो हमें खुशी होगी परंतु जिनका विश्वास नहीं है, जो खाली उनका नाम लेकर राजनीति करना चाहते हैं, उनसे मेरी शिकायत है, उनकी कथनी व करनी में अंतर है। आज देश में तनाव का माहौल है, हिंसा का माहौल है, धर्म के नाम पर मैं समझता हूं कि राजनीति नहीं होनी चाहिए, जिस प्रकार से ध्रुवीकरण हो रहा है देश के अंदर, अभी ठीक कहा प्रतापसिंह जी ने, कल्ला जी ने, हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, जैन, सब धर्मों के लोग रहते हैं इस देश के अंदर, हजारों जातियों के लोग रहते हैं, मूल भावना होनी चाहिए बच्चों के अंदर, सभी जाति, सभी धर्म, सभी वर्गों के लोग समान रूप से हैं, हम एक-दूसरे का सम्मान करते हैं, हर धर्म यही सिखाता है कि अपने धर्म के साथ-साथ दूसरे धर्म का सम्मान करो, तब हम लोग मजबूत बनेंगे, एक रहेंगे, अखंड रहेंगे, पर माहौल जब बनाया जाता है तनाव का, कई जगह हिंसा का, वो देश कभी प्रगति नहीं कर सकता है, विकास वहीं होगा, चाहे परिवार हो, जैसे परिवार में झगड़े होते हैं वो परिवार कभी ऊपर नहीं बढ़ सकता है, वो ही बात लागू होती है गांव के लिए, प्रदेश के लिए, देश के लिए। इसलिए हमारे मुल्क में शांति रहे, सद्भाव रहे, हम लोग किस प्रकार से प्रेम से, भाईचारे से रहें आपस के अंदर, ये हमारी सोच होनी चाहिए, तब जाकर हम हमारे मुल्क में जो आजादी के पहले भी और आजादी के बाद में भी जो त्याग और बलिदान कोई कम नहीं हुए हैं। इंदिरा गांधी का कोई खेत का झगड़ा नहीं था किसी से, दुश्मनी नहीं थी, इंदिरा गांधी जी ने खालिस्तान नहीं बनने दिया, परिणाम भुगता उनका सीना छलनी कर दिया था, वो शहीद हो गईं देश के लिए, राजीव गांधी शहीद हो गए, पर देश को एक रखा, अखंड रखा, यही भावना हम सबमें होनी चाहिए।
आज दुनिया के अंदर रूस और यूक्रेन में जो युद्ध चल रहा है, वो भी शुभ संकेत नहीं है, हमारी सरकार हो, या दुनिया की कोई सरकार हो, सभी अपील कर रही हैं कि युद्ध बंद होना चाहिए, शांति स्थापित होनी चाहिए, कितने लोग मारे जा रहे होंगे, किसी को नहीं मालूम है, क्या स्थिति है वहां पर, कोई नहीं जानता है। हमारे छात्र फंस गए थे वहां पर, आप सोच सकते हो कि क्या बीती होगी उन पर, मैंने 4-5 छात्रों से बातचीत की, उनकी हौसलाफजाई की, मुझे खुशी है कि धीरे-धीरे सब बच्चे निकलकर हमारे देश में भी आ रहे हैं, हमारे प्रदेश में भी आ रहे हैं। दुनिया के किसी हिस्से में अगर युद्ध होगा, तो हम कभी उसको समर्थन नहीं कर सकते। हम लोग चाहेंगे कि सब लोग प्रेम से, भाईचारे से रहें और हमारे देश में तो वसुधैव कुटुंबकम की बात की गई है, पूरा विश्व जो है एक कुटुंब की तरह है, विनोबा भावे ने जय जगत की बात की थी, पूरे जगत की जय हो, पूरे विश्व की जय हो, ये भावना हिंदुस्तान की धरती से निकली हुई है दुनिया के मुल्कों के लिए, ये हमें समझनी चाहिए। इन्हीं भावनाओं को हमें आगे बढ़ाना है, ये वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकता है और वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकता ये भी है कि नई पीढ़ी को सही रास्ता दिखाएं, ये हमारा कर्त्तव्य बनता है। इसलिए मुझे शिकायत है उन लोगों से, जो कहते कुछ हैं करते कुछ हैं। चतुराई से अपनी बात करेंगे प्रदेशवासियों को, देशवासियों को, परंतु उनके दिल में न गांधी हैं, न पटेल हैं, न अंबेडकर हैं, ऐसे लोगों से आपको हमको सबको सावधान रहने की आवश्यकता है।
मुझे खुशी हुई कि आप लोग सुबह-सुबह इतनी बड़ी तादाद में आए, हमारे स्काउट-गाइड्स आए हैं, एनसीसी वाले आए हैं, मैं समझता हूं कि इन सबकी अपनी भूमिका है, एनएसएस वालों की भूमिका है, नेहरू यूथ केंद्र के साथी आए हैं और हमारे सब लोग आए हैं जिनका भी विश्वास गांधी के अंदर है, मैं आपको बधाई देता हूं, धन्यवाद देता हूं और मनीष शर्मा हमारे शांति व अहिंसा प्रकोष्ठ के डायरेक्टर हैं निदेशक हैं, पूरे हिंदुस्तान में एकमात्र राजस्थान की सरकार ने पहल की है, शांति व अहिंसा का निदेशालय बनाया गया है सरकार के अंदर, पहली बार ऐसा हुआ है हिंदुस्तान के अंदर। मैं चाहूंगा कि हिंदुस्तान में हर सरकार जो है, हर सरकार अपनी सरकार के अंदर एक प्रकोष्ठ बनाए शांति व अहिंसा का, समय आ गया है कि गांधी को याद करते हुए ऐसे प्रकोष्ठ बनने चाहिए, जिससे कि सरकार जब बनाएगी प्रकोष्ठ उस प्रदेश के अंदर, प्रदेशवासियों के अंदर, नौजवानों को अंदर, छात्रों में एक मैसेज जाएगा कि ये क्यों बनाया गया प्रकोष्ठ शांति का, अहिंसा का फिर वो गांधी को याद करेंगे, गांधी के विचारों को याद करेंगे, गांधी की जीवनी पढ़ेंगे \'सत्य के प्रयोग\'। मैं आपसे भी निवेदन करना चाहूंगा, नौजवान आए हैं, कम से कम गांधी जी की जीवनी \'सत्य के प्रयोग\' आप अवश्य पढ़ें, जिससे आपकी जिंदगी में आपका व्यक्तित्व, आपका कृतित्व का तरीका बदलेगा, आप जिंदगी में कामयाब होंगे, ये मेरा मानना है। आज सिंबॉलिक जो दांडी मार्च निकाला गया ऐसे वक्त में, जब दुनिया के रूस में और यूक्रेन में जो आग लगी हुई है, उसको शांति का संदेश पहुंचाने के लिए ये यात्रा की है, उसके लिए मैं आप सबको बधाई देना चाहता हूं। यही बात कहता हुआ मैं मनीष शर्मा को, तमाम इनके साथियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, धन्यवाद देता हूं, धन्यवाद, जय हिंद, धन्यवाद।