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    Talked to media at Jobner (Jaipur) सवाल- राजस्थान में कृषि को हाइटेक बनाने के लिए आपने अलग कृषि बजट पेश किया, कृषि मेला किस तरह से सरकार की प्राथमिकताओं में से है? जवाब- कृषि अपने आप में प्राथमिकता में है और होनी चाहिए, पूरे देश के अंदर होनी चाहिए। राजस्थान प्रदेश में होनी चाहिए अकाल सूखे पड़ते रहे है वहां पर कृषि प्रायोरिटी पर हो, यह प्रयास होना चाहिए। इसलिए हमने कोई 20 साल पहले नारा दिया था खेत का पानी खेत में, गांव का पानी गांव में इकट्ठा कैसे हो, बिना पानी के कुछ नहीं हो सकता। आज जल जीवन मिशन चल रहा है। पानी का सोर्स नहीं होगा तो घरों में पानी आएगा कैसे, यह बहुत बड़ी प्रॉब्लम पैदा हो गई है। अभी से ही हर व्यक्ति को चाहिए कि वो पानी बचाने का काम करें। यह पुराने जमाने में घरों में टांके होते थे और बरसात का पानी इकट्ठा होता था उनको पालर पानी कहते थे, सालभर पीने के काम में आता था। वो जमाना भी देखा हमने। मैं समझता हूं कि अभी कृषि का अलग बजट पेश किया, किसानों के लिए अलग छूट दी हमने, उनके कर्जे माफ किए पहले करीब 14 हजार करोड़ रुपये के हम लोगों ने, 20 लाख किसानों को फायदा मिला तो कोई कमी नहीं रखी। बिजली के बिल उनको कम हो गए अब तो, करीब साढ़े पांच लाख किसानों का बिजली बिल आ ही नहीं रहा है। क्योंकि हमने 1000 रुपये प्रति महीना उनको अनुदान दिया है उसके लिए तो कोशिश कर रहे है कि बूंद बूंद खेती हो, फव्वारा खेती हो जिससे कि पानी बचे तो चारो ओर से हम लोग लगे हुए है। सवाल- राजस्थान विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाला राज्य है, केंद्र सौतेला व्यवहार कर रहा है। शुरू से 90 पर्सेंट अनुदान मिलता रहा है, कैसे राजस्थान की प्यास बुझेगी? जवाब- यही तो मैं कह रहा हूं आपको, विपक्षी नेताओं को मैंने कहा है कि खाली आप वक्तव्य देते हो, रोज-रोज आरोप लगाते हो सरकार पर। इसकी बजाय कम से कम आप हमारे साथ चलो, प्रधानमंत्री महोदय से मिलते है। ईआरसीपी जो हमारी योजना है, पूरे राजस्थान के लिए 13 जिलों की, वहां सिंचाई भी होगी, पीने का पानी भी आएगा। उसको पूरा करने के लिए राष्ट्रीय योजना घोषित करवाओ उसको। प्रधानमंत्री जी ने वादा किया था जयपुर में, अजमेर की मीटिंगों के अंदर तो यह तमाम दबाव हम डाल रहे है पर मुझे अफसोस होता है कि कोई वादा किया प्रधानमंत्री जी ने उसके बाद में राष्ट्रीय परियोजना 16 है देश के अंदर तो 17वीं करने में क्या तकलीफ आ रही है। तकलीफ में है लोग, पीने का पानी नहीं है,खारा पानी है, अकाल सूखे पड़ते थे तभी भी, गांव के अंदर तकलीफ पीने के पानी को लेकर तो यह तमाम बातें है हमारे दिमाग के अंदर उसको लेकर हम आगे बढ़ेंगे। सवाल- राजस्थान की जनता ने 25 सांसदों को चुनकर भरोसा जीता था कि केंद्र से कुछ लेकर के आएंगे लेकिन सांसद चूंकि राजस्थान की सबसे बड़ी समस्या है, लेकिन सांसद सब चुप है। जवाब- सांसद मैं समझता हूं, कल तो जाकर मिले है प्रधानमंत्री जी से, स्टेट वाइस मिल रहे होंगे वो, वो उनके पार्टी का प्रोग्राम होगा पर जो आवाज बुलंद करनी चाहिए 25 सांसदों को, मेरा मानना है कि अगर 25 सांसद, नेता प्रतिपक्ष यहां के, बीजेपी के अध्यक्ष, यह फालतू में स्टेटमेंट देते रहते है, ट्वीट करते रहते है और ट्वीट करने का भी एक तरीका, सलीका होता है कि क्या लैंग्वेज लिखते हो, क्या मीनिंग निकलता है, क्या उसमें तथ्य है, उसके बगैर भी ठोकते रहते है। हम भी देखते है, चलो करने दो कोई बात नहीं, वो करो अपने हिसाब से पर आप कम से कम जो राजस्थान की प्रॉब्लम्स है पानी की है या बिजली की है, कोयले की है, कोई प्रॉब्लम हो, उसको उठाओ कम से कम आप लोग, कोई उठा ही नहीं रहा मांगों को तो राजस्थान के 25 सांसद को जिताकर जनता अब पश्चाताप कर रही है, इनको सबक सिखाएगी अगले चुनाव के अंदर, इनको भ्रम नहीं होना चाहिए कि पांच राज्यों में चार चुनाव जीत गए तो सब कुछ इनको मिल गया है। डेमाक्रेसी के अंदर कब जनता का मिजाज बदल जाए, मालूम नहीं पड़ता यह हमने अनुभव से देखा है। अगर इंदिरा गांधी जी जब जिन्होंने परमाणु विस्फोट किया था देश के अंदर 1974 के अंदर, 1971 में बांग्लादेश को आजाद करवा दिया, पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए, वो चुनाव हार सकती है तो यह चीज ही क्या है, जब जनता का मूड बदलेगा ना, आज महंगाई बहुत भयंकर है, बेरोजगारी तो हाहाकार मचा हुआ है देष के नौजवानों के अंदर, उनको एहसास हो जाएगा, खाली यह हिंदुत्व की और राष्ट्रवाद की बात कर के लोगों को भरमा रहे है। इनकी बातों में दम नहीं है, यह शासन नहीं कर रहे, खाली वोट लेने के लिए हिंदुत्व की बात करते है, वोट लेने के लिए राष्ट्रवाद की बात करते है। हम लोग राष्ट्रवादी नहीं है क्या, देशवासी राष्ट्रवादी नहीं है क्या। इनकी पोल खुलेगी तब इनको झटका लगेगा तब मालूम पड़ेगा इन लोगों को । सवाल-- पांच राज्यों के चुनाव के बाद इन्होने पेट्रोल डीजल के दाम फिर एकदम बहुत..... जवाब- वो पहले ही हम लोग कह रहे थे। चुनाव में 125 दिन तक इन्होने दाम नहीं बढ़ाए। पहले ही भविष्यवाणी हो रही थी, जैसे ही चुनाव खत्म हुए नहीं और यह दाम बढ़ाने लगेंगे। आप देख रहे हो दाम बढ़ने लग गए । जनता इन बातों को समझती है, इनकी कथनी और करनी में कितना बड़ा अंतर है। समय आने पर इनको झटका देगी जनता, यह समझ नहीं पाएंगे क्या हो गया।